सभी आंग्ल युद्ध (Anglo War) अंग्रेजों के द्वारा भारत की भूमि पर लड़े गए थे। यह युद्ध भारत में अंग्रेजों की सत्ता स्थापित करने में निर्णायक साबित हुए। आंग्ल मराठा युद्ध (Anglo Maratha War), आंग्ल मैसूर युद्ध (Anglo Mysore War), आंग्ल कर्नाटक युद्ध (Anglo Karnataka War) इन सभी युद्धों के द्वारा अंग्रेजों ने भारत में अपनी सत्ता स्थापित की। प्रतियोगी परीक्षाओं में सभी आंग्ल युद्धो से बारबार प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए सभी प्रतियोगी अभ्यर्थियों को इन योद्धाओं को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।
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आंग्ल मराठा युद्ध – Anglo Maratha War, Anglo Maratha Yudh
मराठों और अंग्रेजों के मध्य आंग्ल मराठा युद्ध हुए थे। ये मराठा राज्य पर अंग्रेजों की अधीनता के साथ समाप्त हुए थे आंगन मराठा युद्धों में अंग्रेजों ने मराठों पर जीत हासिल की और मराठों की सत्ता को समाप्त कर दिया था।
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775-82) – First Anglo Maratha War,
- यह युद्ध महादजी सिंधिया के अध्यक्षता में सालाबाई के संधि के तहत 1782 ई० में समाप्त हुआ। इस संधि के तहत अंग्रेजों ने बारभाई परिषद को मान्यता दिया तथा माधव नारायण-II को पेशवा स्वीकार किया।
- 1795 ई० में महादजी सिंधिया तथा माधव नारायण – II की मृत्यु हो गयी और अगला पेशवा बाजीराव-II बना।
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध का परिणाम –
- सालाबाई के संधि 1782 ई०
- अंग्रेजों ने बारभाई परिषद को मान्यता दिया
- माधव नारायण-II को पेशवा स्वीकार किया
बाजीराव-II [1795-1818]
- यह अंतिम पेशवा था। इसके समय द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध हुआ। इस पेशवा ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली।
द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध (1803 – 1806) – Second Anglo Maratha War
- यह युद्ध वसीन की संधि के तहत समाप्त हुआ। इस संधि के तहत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली।
- इस संधि को भोसले, होल्कर तथा सिंधिया ने स्वीकार नहीं किया और यह अंग्रेजों और मराठों के बीच तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध का कारण बना।
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध किसके बीच हुआ?
- पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के मध्य हुआ था।
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध किस संधि के तहत समाप्त हुआ?
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध वसीन की संधि के तहत समाप्त हुआ।
द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध का परिणाम
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध किस संधि के तहत समाप्त हुआ ? = वसीन की संधि
- पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध (1817-1818) – Third Anglo Maratha War
- यह युद्ध पूणे की संधि के तहत समाप्त हुआ और इस युद्ध के समाप्ती के बाद पेशवा बाजीराव-II को अंग्रेजों ने पेंशन भोगी बना दिया गया और उसे कानपुर (बिठुर) भेज दिया।
- इसी पेशवा बाजीरव-II का दत्तक पुत्र (गोद लिया हुआ ) नाना शहब था। बाजीराव II के बाद इसे भी पेंशन दिया जा रहा था। किन्तु लॉर्ड डलहौजी ने उनका पेंशन बन्द कर दिया। यही कारण था कि नाना साहब 1857 के विद्रोह में भाग लिये।
- तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध कब हुआ?
- तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध 1817-1818 में हुआ था।
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध का परिणाम
- पूणे की संधि
- पेशवा बाजीराव-II को अंग्रेजों ने पेंशन भोगी बना दिया गया और उसे कानपुर (बिठुर) भेज दिया।
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध के बाद हुयी संधियां-
क्षेत्र | प्रशासक | सन्धि |
1. पुना | पेशवा | पुना की सन्धि |
2. नागपुर | भोंसले | नागपुर की सन्धि |
3. इन्दौर | होल्कर | मंदसौर की सन्धि |
4. ग्वालियर | सिंधिया | ग्वालियार की सन्धि |
- बड़ौदा का गायकवार के साथ कोई संधि नहीं की गयी क्योंकि यह तृतीय आंग्ल महाठा युद्ध में शामिल नहीं था । इसने स्वतः ही अंग्रेजों की अधिनता स्वीकार कर ली।
- 1818 आते-आते मराठा शक्ति समाप्त हो गयी और मराठा क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
- पिण्डारी यह मराठा के छोटी टुकड़ी थी यह जंगलों में रहती थी तथा छापामार युद्ध (गुरिल्ला युद्ध) करके अंग्रेजों से लड़ती थी।
- मैल्कम ग्रे नामक इतिहासकार ने पिण्डारियों को मराठों का कुत्ता कहा है।
- लार्ड हेस्टिंग्स ने पिण्डारीयों का अन्त कर दिया।
आंग्ल कर्नाटक युद्ध – Anglo Karnataka War
कर्नाटक की स्थापना सादुल्ला ने किया। कर्नाटक पर अधिकार करने के लिए फ्रांसिस तथा अंग्रेज आपस में लड़ गए और 3 युद्ध हुए।
प्रथम आंग्ल कर्नाटक युद्ध (1746-48)– First Anglo Karnataka War
- इस युद्ध का कारण ऑस्ट्रिया के अधिकार को लेकर इंग्लैड तथा फ्रांस के बीच युद्ध हुआ। जिस कारण उनकी कम्पनीयां भारत में युद्ध कर ली।
- ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार का युद्ध एलाशापा की संधि से समाप्त हुआ। इसी संधि के तहत भारत में प्रथम आंग्ल कर्नाटक युद्ध समाप्त हो गया।
द्वितीय आंग्ल कर्नाटक युद्ध (1749-54) – Second Anglo Karnataka War
- इस युद्ध का कारण फ्रांसिस गर्वनर डुप्ले का महात्वाकांक्षी होना था।
- इसने भारत में अग्रेंजो पर आक्रमण कर दिया। यह युद्ध पाण्डीचेरी के संधि के तहत समाप्त हुआ।
तृतीय आंग्ल कर्नाटक युद्ध (1763) – Third Anglo Karnataka War
- इस युद्ध का कारण यूरोप में चल रहे सात वर्षीय युद्ध को माना जाता है। यह युद्ध इंग्लैण्ड तथा फ्रांस के बीच मुख्य रूप से हुआ।
- इसी युद्ध के दौरान 1760 में वांडीवास के युद्ध में अंग्रेजों में फ्रांसीसियों को बूरी तरह पराजित कर दिया और भारत से फ्रांसीसि सत्ता लगभग समाप्त हो गयी।
- यह युद्ध 1763 में पेरिस के संधि के तहत समाप्त हो गयी। इस संधि के तहत चन्द्र नगर तथा पाण्डीचेरी पर फ्रांसिसियों का अधिक रहा शेष क्षेत्र पर अंग्रेजो ने कब्जा कर लिया। पाण्डीचेरी की स्थापना फ्रांसिस मटिन ने किया था। जो 1954 में भारत का अंग बना।
4 आंग्ल मैसूर युद्ध – Anglo Mysore War, Anglo Mysore Yudh :
मैसूर राज्य की स्थापना हैदर अली ने 1755 ई० में किया। हैदर अली एक योग्य शासक था इसने अपने साम्राज्य का विस्तार प्रारम्भ किया और यही अंग्रेजों तथा मैसूर के बीच युद्ध का कारण बना। ये युद्ध अंग्रेजों तथा मैसूरों के बीच युद्ध लड़े गए।
प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध (1767-69) – First Anglo Mysore War:
- हैदर अली ने अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव को दबाने के लिए अंग्रेजों के साथ यह युद्ध किया था। युद्ध में हैदर अली विजयी रहा और यह युद्ध मद्रास की संधि से समाप्त हुआ।
- मद्रास की संधि की सारी शर्तें हैदरअली ने तय किया था। यही है कारण है कि यह संधि सफल नहीं हो सकी और द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध को जन्म दे दिया।
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-84)- Second Anglo Mysore War:
- इस युद्ध का कारण अंग्रेजों द्वारा हैदर अली का क्षेत्र माहे (पाण्डीचेरी) पर अधिकार करना था।
- इस युद्ध में हैदरअली मारा गया और उसका बेटा टिपु सुल्तान युद्ध को आगे बढ़ाया। यह युद्ध बिना किसी निर्णय मंगलौर की संधि से समाप्त हो गया।
तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1790-92 )- Third Anglo Mysore War :
- यह युद्ध टिपु सुल्तान ने लड़ा किन्तु इस युद्ध में टिपु सुल्तान पराजित हो गया और यह युद्ध श्रीरंगपट्टनम की संधि से समाप्त हो गया।
चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799) – Fourth Anglo Mysore War:
- इस युद्ध में टिपु सुल्तान मारा गया और मैसूर क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
- टिपु सुल्तान ने फ्रांसिसियों के सहयोग से एक नौ सेना का गठन किया और फ्रांस के जैकोबीयन कल्व (फ्रांस का गरम दल) की सदस्यता ग्रहण की।
- टिपू सुल्तान एक धार्मिक उदार शासक था। इसने शंकराचार्य द्वारा बनवाए गये सिगेर पीठ जो की मैसूर में स्थित है का पुर्ननिर्माण करवाया।
- टिपू सुल्तान की अंगूठी पर राम लिखा था। टिपू सुल्तान के तोपों का आकार शेर की तरह था।
- टिपू सुल्तान कहता था कि, “100 दिन के गिदड़ के जीवन से अच्छा है कि एक दिन के शेर का जीवन”।
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